ब्राह्मणों को रिझाने में जुटी भाजपा

सतना। भारतीय जनता पार्टी ने जब से सतना विधानसभा से अपना प्रत्याशी चार बार के सांसद गणेश सिंह को बनाया है तब से भारतीय जनता पार्टी ब्राह्मणों को रिझाने में लगी हुई है। यहां पर यह बताना उल्लेखनीय होगा सतना विधानसभा में सर्वाधिक मतदाता ब्राह्मण जाति के हैं इस लिहाज से अधिकांश राजनीतिक दल सतना विधानसभा से प्राय: ब्राह्मण उम्मीदवार ही उतारते थे । भारतीय जनता पार्टी ने सतना से चार बार शंकर लाल तिवारी के अलावा बृजेंद्र नाथ पाठक को अपना उम्मीदवार बनाया था और भाजपा की यह रणनीति काफी कुछ सफल भी रही है । भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश के अंदर इस बार एक नया प्रयोग शुरू किया जिसके तहत भाजपा ने अपने साथ सांसदों को चुनाव मैदान में उतार दिया जिसमें सतना विधानसभा सीट से सांसद गणेश सिंह भी चुनावी मैदान में हैं । सतना के सांसद गणेश सिंह को चुनाव लडऩे में महारत हासिल है । सांसद गणेश सिंह ने वर्तमान सतना की विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा के पिता सुखलाल कुशवाहा राजा राम त्रिपाठी पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह और प्रत्यक्ष के नेता रह चुके अजय सिंह राहुल को भी चुनाव हराया है । गणेश सिंह की इस काबिलियत को देखते हुए अधिकांश लोग यह कहते हैं कि अंतत: गणेश सिंह चुनाव जीत जायेंगे। वही सिद्धार्थ कुशवाहा जो वर्तमान में सतना की विधायक है उनका कहना है कि हमें बच्चा समझने की गलती सांसद गणेश सिंह ना करें तो बेहतर होगा। जिस ठसक के साथ सिद्धार्थ कुशवाहा ने गणेश सिंह को हराने की बात कही उसके पीछे उनका कौन सा अंक गणित है हमें नहीं मालूम लेकिन सिद्धार्थ कुशवाहा जब महापौर का चुनाव लड़ रहे थे तब भी उनके अंदर यही ठसक थी और इसी ठसक की वजह से वह चुनाव हार गए । शाहिद अहमद नगर निगम में तीन टिकट मांग रहे थे लेकिन सिद्धार्थ कुशवाहा शाहिद अहमद को तीन टिकट भी नहीं देना चाह रहे थे जिसकी वजह से शाहिद अहमद बागी हो गए और उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से चुनाव लड़ा। यदि बहुजन समाज पार्टी से शाहिद अहमद चुनाव नहीं लड़ते तो निश्चित तौर पर सिद्धार्थ कुशवाहा का चुनाव परिणाम कुछ और होता यदि हारते भी तो हार का अंतर कम होता । 2023 के विधानसभा चुनाव में ब्राह्मण मतदाताओं के साथ वैश मतदाता भी निर्णायक भूमिका अदा करेंगे । इस लिहाज से भारतीय जनता पार्टी सतना विधानसभा के हिसाब से ब्राह्मणों को रिझाने में जुट गई है सबसे पहले भारतीय जनता पार्टी ने विमला पांडे को कन्या महाविद्यालय का जन भागीदारी समिति का अध्यक्ष बना दिया उसके बाद नगर निगम अध्यक्ष रह चुके पंडित सुधाकर चतुर्वेदी को परशुराम कल्याण बोर्ड का सदस्य बना दिया गया। यह बताना उल्लेखनीय है कि पंडित सुधाकर चतुर्वेदी पंडित कमलाकर चतुर्वेदी के बड़े भाई हैं और रत्नाकर चतुर्वेदी के बड़े पिता जी । रत्नाकर चतुर्वेदी भारतीय जनता पार्टी से बगावत करने की मुद्रा में है अब देखना यहां है की चुनाव के पहले सतना विधानसभा की चुनावी तस्वीर क्या बनती है कौन-कौन प्रत्याशी मैदान में आते हैं और उसके बाद ही चुनाव का अंकगणित लोगों के समझ में आएगा।




