कैलाश और प्रहलाद के हाथ क्या आया

सतना। मध्य प्रदेश के अंदर मुख्यमंत्री की घोषणा होने के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय को अमित शाह की नजदीकियों का क्या फायदा मिला जिस तरीके से कैलाश विजयवर्गीय ने इंदौर के साथ-साथ पूरे मालवा बेल्ट में भारतीय जनता पार्टी की फिजा बनाने में पूरी ताकत छोड़ दी उसके बाद भी केंद्रीय नेतृत्व ने कैलाश विजयवर्गीय को मध्य प्रदेश की राजनीति में स्थापित करने का काम नहीं किया इतना ही नहीं प्रहलाद पटेल को केंद्र में मंत्री थे सर्वे रिपोर्ट के आधार पर भारतीय जनता पार्टी ने नई रणनीति बनाई और 7 सांसदों को मध्य प्रदेश में चुनाव लडऩे के लिए भेज दिया सात में पांच सांसद चुनाव जीत भी गए उम्मीद की जा रही थी कि प्रहलाद पटेल मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन ना तो प्रह्लाद पटेल मुख्यमंत्री बने और ना ही उपमुख्यमंत्री ऐसे में यदि किसी केंद्रीय मंत्री को राज्य में मंत्री बनाने के हिसाब से चुनाव लड़ाया गया तो इसे भारतीय जनता पार्टी की राजनीति करने वाले ही लोग उचित कह सकते हैं बाकी राजनीतिक विश्लेषक इसे कहीं से भी उचित नहीं कहेंगे जिस हिसाब से भारतीय जनता पार्टी चौंकाने वाली राजनीति कर रही है उसे देखते हुए तो अब यह कहा जा सकता है की कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल कुछ बनाए भी जाएंगे इन्हें मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में जगह भी मिलेगी या नहीं क्योंकि मोहन यादव मंत्रिमंडल का विस्तार भी अपनी सुरक्षा और अपनी मर्जी से नहीं कर पाएंगे उन्हें हर बात के लिए केंद्रीय नेतृत्व से इजाजत लेनी होगी।




