श्रमिको के शोषण का शोरूम मैहर में

ऐसी आम धारणा थी कि धन्ना सेठों की हवेलियां तभी बनती है जब धन्ना सेठ गरीबों का शोषण करते हैं और उनका खून चूसते हैं । ऐसी प्रथा वर्षों से चली आ रही है तमाम मजदूर संगठन बने लेकिन मजदूरों का शोषण श्रमिक संगठन आज तक रोक नहीं पाए धन्ना सेठों की मनमानियां आज भी जारी है ऐसा ही कुछ मामला सतना जिले के मैहर में आया है बीड़ी बनाने वाले मजदूरों का शोषण हो रहा है ऐसा हम नहीं कह रहे हैं मजदूर इस बात का इकबालिया बयान खुद कर रहे हैं। बीड़ी बनाने वाले मजदूरों को शासन द्वारा तमाम तरीके की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही है लेकिन बीड़ी बनवाने वाली कंपनी जिसका नाम है यूपी टोबैको प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड यह कंपनी निरंतर मजदूरों का शोषण कर रही है बीड़ी श्रमिकों ने अपने हस्ताक्षर युक्त एक पत्र में भविष्य निधि आयुक्त जबलपुर तथा सहायक आयुक्त श्रम विभाग सतना को पत्र लिखते हुए इस बात का उल्लेख किया है कि यूपी टोबैको प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड कुंभराज मोहल्ला उत्तर दरवाजा मैहर जिला सतना में बीड़ी का कारखाना संचालित है इस कारखाने के प्रबंधक शैलेश पटेल एवं कर्मचारी अशोक द्विवेदी द्वारा बीड़ी श्रमिकों का निरंतर शोषण किया जा रहा है श्रमिकों ने बताया कि इस संस्थान का कोर्ट मध्य प्रदेश/ 2786 है । बीड़ी श्रमिकों ने अपने पत्र में लिखा है कि हम बीड़ी मजदूर बीड़ी बनाकर बीड़ी संस्थान के ठेकेदारों को देते हैं कायदे से बीड़ी बनाने का पारिश्रमिक बीड़ी श्रमिकों के खाते में आना चाहिए लेकिन यूपी टोबैको प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड मैहर के प्रबंधक शैलेश पटेल द्वारा बीड़ी श्रमिकों का वेतन बैंक खाते में नहीं दिया जाता यह सिलसिला 2000 16 से जारी है जिसके चलते हजारों बीड़ी श्रमिकों का शोषण हो रहा है । बीड़ी श्रमिकों को प्रोविडेंट फंड परिवार पेंशन राशि मृत्यु उपरांत मिलने वाली बीमा की राशि का भी लाभ दिया जाता है लेकिन बीड़ी कंपनी के कर्मचारी अशोक द्विवेदी बीड़ी श्रमिकों से केवाईसी कराने का 2000 एवं e-nomination कराने का एक हजार तथा एनआरएस पेंशन बनवाने के लिए ₹5000 लिया जाता है इस बात की शिकायत बीड़ी कंपनी के डायरेक्टर अशोक से भी की जा चुकी है जिनका मोबाइल नंबर 789808506 है । मजदूरों की आवाज धन्ना सेठों की कान में कब पड़ती है उन्होंने तो मैहर में शोषण का शोरूम खोल दिया है और मजदूरों का शोषण करने के लिए दो शोषक बैठा रखे हैं । जब कंपनी के नीति नियंत्रक ही मजदूरों की आवाज को अनसुना कर दें तो इससे ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं बीड़ी श्रमिकों का शोषण कंपनी के डायरेक्टर के सहमति से किया जा रहा है । 2023 में विधानसभा के चुनाव है और जिस तरीके से बीड़ी श्रमिकों के साथ जोर जुल्म और अन्याय हो रहा है निश्चित तौर पर इसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को 2023 में भुगतना पड़ेगा यदि भारतीय जनता पार्टी के लोग विशाल खबर के माध्यम से श्रमिकों की पीड़ा सुन रहे हैं तो कहीं ना कहीं शोषण के शोरूम के विरुद्ध आवाज उठानी होगी और मजदूरों का शोषण रोते हुए मजदूरों को न्याय दिलाने की व्यवस्था करनी होगी।




