अनूठा विस्थापन, भोपाल से बुंदेलखंड ले जाकर बसाए जाएंगे 12 गिद्ध

भोपाल- नामीबिया से कूनो अभयारण्य के बीच हुआ चीतों का अंतरमहाद्वीपीय विस्थापन पूरे देश में चर्चा में है। इसके अतिरिक्त वन विभाग बाघ तेंदुओं और चीतलों का विस्थापन भी करता रहता है। लेकिन, देश में संभवत: पहली बार एक अनूठा विस्थापन होने जा रहा है, जिसमें कभी विलुप्ति के कगार पर पहुंचे गिद्धों को भोपाल के केरवा स्थित प्रजनन केंद्र से बुंदेलखंड में छोड़ने की तैयारी की जा रही है।
पहले चरण में 12 गिद्धों को छोड़ने के लिए मैदानी स्तर पर काम
गिद्ध प्रजनन केंद्र के प्रबंधक रोहन शृंगारपुरे ने बताया कि गिद्धों के संरक्षण को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही संस्था बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (बीएनएचएस) पहले चरण में 12 गिद्धों को छोड़ने के लिए मैदानी स्तर पर काम करेगी। इसके बाद इन गिद्धों पर लगातार अध्ययन कर इनकी संख्या प्राकृतिक रूप से बढ़ाने के लिए काम किया जाएगा। केरवा स्थित प्रजनन केंद्र में भी गिद्धों की संख्या को बढ़ाने के लिए काम चलता रहेगा।
गिद्धों की संख्या प्राकृतिक रूप से बढ़ी
बुंदलेखंड में हानिकारक दवाओं का उपयोग रोकने को अभियान
बाम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के विज्ञानी और वालंटियर्स ने बुंदेलखंड क्षेत्र के पांच जिलों सागर, दमोह, टीकमगढ़, पन्ना और छतरपुर में किसानों और पशुपालकों को गिद्धों के संरक्षण के लिए जागरूक करना शुरू कर दिया है। उन्हें पशुओं को दी जाने वाली प्रतिबंधित डायक्लोफेनिक सोडियम सहित निमेसुलाइड और एसेलुफेनिक दवाओं के इस्तेमाल को रोकने की समझाइश दी जा रही है। प्रकृति के माहिर सफाईकर्मी गिद्ध मृत पशुओं को खाकर प्रकृति को साफ करने का काम करते हैं।
गिद्धों के लिए जानलेवा हैं पशुओं को दी जाने वाली दर्दनिवारक दवाएं
दादा-दादी और पोते-पोतियां बढ़ाएंगे कुनबा
पहले चरण में प्रजनन केंद्र के फाउंडर गिद्धों (एफ) में से दो और उनके बच्चों के बच्चों (एफ-2) में से 10 गिद्धों को चुनकर प्राकृतिक आवास में छोड़ा जाएगा। इस तरह से इन गिद्धों को किस जगह पर छोड़ा जाएगा, फिलहाल इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन बुंदेलखंड के पांच जिलों के बीच में पड़ने वाले वन्य क्षेत्र के आसपास इन गिद्धों की बसाहट की जाएगी।




