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अहंकार में निपट गए नारायण

सतना। अहंकार जब रावण कंस और दुर्योधन का नहीं रहा तो इनसे बड़ा साम्राज्य किसी नेता का नहीं हो सकता इसलिए नेता का भी अहंकार एक दिन टूटता ही है। शिवराज सिंह को भी कहीं ना कहीं ऐसा लग रहा था कि यदि प्रदेश में बहुमत आया तो एक बार फिर से वह मुख्यमंत्री बनेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ वसुंधरा राजे को भी यही लग रहा था कि राजस्थान में सरकार बनी तो वे मुख्यमंत्री बन सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ रमन सिंह भी छत्तीसगढ़ में यही सोच रहे थे लेकिन रमन सिंह भी मुख्यमंत्री बनने में कामयाब नहीं हुए। युद्ध के मैदान में किसी का भी अहंकार स्थाई नहीं रहा जिसने भी अहंकार किया उसका अहंकार टूटा है वह पराजित हुआ है वह खत्म हुआ है कुछ इस तरीके की भाषा सतना के सांसद गणेश सिंह भी बोल रहे हैं उन्होंने मैहर विधानसभा की ग्राम पंचायत धनवाही में अपने संबोधन के दौरान कहा कि घमंड करने वालों का घमंड जनता ने जमीन में मिला दिया। इसलिए अपने पद का कोई घमंड ना करें हालांकि इस पूरे मामले में गणेश सिंह ने बड़ी शालीनता बर्ती उन्होंने किसी का नाम नहीं दिया लेकिन उनका इशारा ठीक और स्पष्ट था मैहर के पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी की तरफ। सांसद गणेश ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ लोगों का मिथक था टूटा कि नहीं टूटा उनकी इस बात पर लोग हंसने लगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का अहंकार था अहंकार जमीन पर आया कि नहीं आया। जनता ने कहा आया इसके बाद सांसद गणेश सिंह ने अपने संबोधन में आगे कहा कि इसमें किसी का श्रेय नहीं है श्रीकांत जी का भी श्रेय नहीं है इसमें आपका श्रेय है कहने का अभिप्राय जनता का श्रेय है। अच्छे-अच्छे अहंकार करने वालों को आपने जमीन में पहुंचा दिया। इसलिए आपका एक बार और हृदय से धन्यवाद। सांसद गणेश सिंह ने नारायण त्रिपाठी को पराजित करने वाली जनता के प्रति मन से आभार ज्ञापित किया। यहां पर यह बताना उल्लेखनीय है कि बीते 6 महीने में पूर्व विधायक नारायण त्रिपाठी और सांसद गणेश सिंह में अदावत चल रही है हालांकि लड़ाई की शुरुआत नारायण त्रिपाठी ने की और उन्होंने कहा था कि सांसद गणेश सिंह को मैहर विधानसभा में घुसने नहीं दूंगा सांसद गणेश सिंह ने उनकी चुनौती स्वीकार की और दूसरे दिन ही मैहर विधानसभा में पहुंच गए नारायण त्रिपाठी सांसद गणेश सिंह का कुछ कर नहीं पाए उसके बाद नारायण त्रिपाठी हमेशा यह कहते रहे की अजय सिंह राहुल जब सतना लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देकर गणेश सिंह का साथ दिया इसके जवाब में सांसद गणेश सिंह ने कहा कि वह जब भी विधायक बने हैं मेरे समर्थन से विधायक बने हैं। सांसद और विधायक की इस लड़ाई में और कुछ हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन नारायण त्रिपाठी न सिर्फ चुनाव हारे बल्कि चौथे नंबर पर पहुंच गए नारायण त्रिपाठी का बहुत बड़ा नाम था बावजूद इसके वीरेंद्र कुशवाहा तीसरे नंबर पर थे इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नारायण त्रिपाठी मैहर विधानसभा में कितने लोकप्रिय हैं। फिलहाल सांसद गणेश सिंह ने मैहर पहुंचकर नारायण त्रिपाठी का बिना नाम लिए यह बताने की कोशिश की है की राजनीति में अहंकार नहीं करना चाहिए नहीं तो जनता धूल चटा देती है।

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