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सिद्धार्थ के कैमरों से क्यों डर गए शिवराज

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान युवा सांसद के एक कार्यक्रम में शासकीय महाविद्यालय गहरा नाला जा रहे थे उसी बीच कांग्रेस के जिला अध्यक्ष एवं सतना के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने खाद्य समस्या को लेकर शिवराज सिंह चौहान को घेर लिया और उनसे खाद्य की समस्या के निराकरण के संबंध में सड़क पर ही चर्चा करने लगे वर्षों बाद ऐसा नजारा देखने में मिला कि किसी विपक्ष के नेता ने किसी केंद्रीय मंत्री को सड़क पर रोक लिया हो और केंद्रीय मंत्री दिवस होकर सड़क पर उतरकर विपक्ष के नेता से बात कररहा हो । विपक्ष के हिसाब से यह नजारा सतना के लिए शुभ संकेत है यदि इसी तरीके से नेताओं का घेराव विपक्षी पार्टियों करती रहेगी तो सत्ता पक्ष दबाव में रहेगा। लेकिन इस पूरे मामले में जब कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान से बातचीत कर रहे थे तो इस समय शिवराज सिंह चौहान ने शायद यह कहा कि कैमरे बंद कर दो आखिरकार ऐसी कौन सी बातचीत चल रही थी जिसके चलते केंद्रीय कृषि मंत्री डर गए और कैमरे बंद करने की बात कही कांग्रेस के लोगों ने भी केंद्रीय मंत्री की इज्जत की और आपस में यह भी कहा कि कैमरे बंद कर दो कैमरे बंद कर दो। लेकिन एक बात समझ में नहीं आई केंद्रीय कृषि मंत्री कैमरे से इतना क्यों डर रहे हैं जिस व्यक्ति ने अपनी पूरी राजनीति कैमरों के सहारे ही किया हो वह अचानक से कैमरों से क्यों डर गया। कोई नेता स्वीकार करें या ना स्वीकार करें मध्य प्रदेश के अंदर हर जिले में खाद का संकट है इस बात को सतना जिले के सांसद गणेश सिंह ने भी अपने पत्र के माध्यम से स्वीकार किया है अब खाद्य के संकट पर जब कोई चर्चा चल रही हो उसे चर्चा के दौरान कोई ऐसी बात निकल जाए जिसके चलते प्रदेश और देश की राजनीति में कोई बखेड़ा खड़ा हो शायद शिवराज सिंह चौहान उसे बखेड़े से डर रहे थे । शिवराज सिंह चौहान नहीं चाह रहे थे कि कांग्रेस को कोई ऐसा मौका मिले जिसके चलते वह जनता के बीच उस अवसर को भुनाने का प्रयास करें । सिद्धार्थ कुशवाहा जब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान से बात कर रहे थे तो उन्होंने भी बड़ी चतुराई के साथ खाद के संकट राज्य सरकार के ऊपर डालने की कोशिश की और कहा कि राज्य सरकार से बात करके हम इस समस्या का निराकरण करेंगे लेकिन सिद्धार्थ कुशवाहा ने कहा कि आप सरकार है आपको निर्देश देने की जरूरत है । फिलहाल कांग्रेस ने अपना विरोध जोरदार ढंग से दर्ज कर दिया और आज की तारीख में सतना जिले को इसी तरीके के विरोध की जरूरत है क्योंकि लगातार कई वर्षों से प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और भारतीय जनता पार्टी के लोग यह मानकर भी चल रहे हैं कि जब तक लाडली बहन योजना है तब तक भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने से कोई रोक नहीं सकता करीब करीब इस तरीके का अहंकार भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को हो चुका है इसीलिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार में किसानों की कोई वैल्यू नहीं है इसीलिए किसान कई दिनों से खाद के लिए लाइन में लगा हुआ है टोकन ले रहा है खाद की बोरियां देखकर संतोष कर रहा है थक हारकर किसान चक्का जाम भी कर रहा है । कई जगह समझाइए इसके बाद किस चक्का जाम खत्म भी कर देते हैं कई जगह नहीं खत्म करते तो लाठियां भी भांजते है पुलिस मुकदमा भी दर्ज करती है । इस देश के अंदर जो सबसे बड़ी कमी है वह यह है कि किसी भी अव्यवस्था के लिए कोई भी व्यक्ति जिम्मेदार नहीं है खाद की अगर कमी है तो प्रदेश का कृषि मंत्री इस बात के लिए जिम्मेदार रही है प्रदेश का कृषि सचिव इस बात के लिए जिम्मेदार नहीं है जिले का कलेक्टर इस बात के लिए जिम्मेदार रही है और कृषि विभाग का संचालक और रूप संचालक भी इस बात के लिए जिम्मेदार नहीं है जिस दिन किसी भी अव्यवस्था के लिए सरकार जिम्मेदारी सुनिश्चित कर देगी उसी दिन से इस देश के अंदर अव्यवस्थाओं का अंत हो जाएगा । लेकिन बड़े दुर्भाग्य के साथ कहना पड़ रहा है कि जो जहां बैठा है जिस पथ पर काबिज है वह ईमानदारी के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहा है । यदि कोई भी कर्मचारी नेता मंत्री अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने लगेगा तो अव्यवस्था है अपने आप समाप्त हो जाएगी यदि किसी अव्यवस्था के लिए अधिकारी कर्मचारी मंत्री को जिम्मेदार ठहराया जाएगा तो वह इस बात की चिंता करेगा की व्यवस्थाएं पहले ही नहीं लेकिन इस देश में किसी भी व्यवस्था के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है इसलिए व्यवस्थाएं फैलती है तकलीफें बढ़ती है और जब तकलीफ बढ़ जाती है तो जनता सड़क पर उतरती है चक्का जाम करती है पथराव करती है घेराव करती है लेकिन अंत में पिसती जनता ही है नव अधिकारियों का कोई नुकसान होता है ना नेताओं का कोई नुकसान होता है । फिलहाल बहुत दिनों बाद कांग्रेस ने कम से कम किसी केंद्रीय नेता के अंदर घेराव करके सड़क रोक करके कैमरे का भय तो दिखाया ।

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