नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह ने सीएम शिवराज पर साधा निशाना, कहा ‘स्क्रिप्ट पहले से रेडी, मुख्यमंत्री करते हैं अभिनय’

पिछले कुछ समय से सीएम शिवराज एक्शन मोड में हैं। डिंडोरी, मंडला, बैतूल में उन्होने मंच से या निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को संस्पेंड किया है। इसी के साथ वो लगातार चेता रहे हैं कि गड़बड़ी करने वालों को छाड़ा नहीं जाएगा। लेकिन विपक्ष ने इसे एक स्ट्रेटजी बताया है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार समाप्त करने, जीरो टॉलरेन्स और रिश्वत लेने वालों को उल्टा लटकाने की बातें अब सिर्फ मजाक बन कर रह गई हैं। न भ्रष्टाचार बंद हुआ और ना ही आज तक कोई उल्टा लटका है। हकीकत तो यह है कि भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम सरकार कर रही है। उन्होने आरोप लगाया कि जिले में दौरे के दौरान निलंबन की स्क्रिप्ट पहले से तैयार रहती है और मुख्यमंत्री जी सिर्फ अभिनय करते हैं।
नेता प्रतिपक्ष का आरोप ‘कथनी-करनी में अंतर’
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने कहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की कथनी और करनी में उतना ही अंतर है, जितना जमीन और आसमान में। जनता को खुश करने के लिये मंच से भाषण तो खूब दिये जाते हैं, लेकिन अमल में कितने लाये जा रहे है ? यह सिर्फ सस्ती लोकप्रियता पाने के लिये किया जा रहा है। उन्होने कहा कि ‘वीडियों कॉन्फ्रेसिंग के दौरान पहिले से ही चंद मुंह लगे अधिकारी बता देते है कि फलां को लताड़ लगा दो और फलां को निलंबित कर दो। इससे जनता में संदेश जायेगा कि मुख्यमंत्री जी अच्छा काम कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि जो उनके सिपहसालार चाहते हैं वह करवा देते हैं और उसके बाद निलंबित अधिकारी भी बहाल हो जाता है।’
‘बड़े अधिकारियों के विरूद्ध नहीं होती कार्रवाई’
डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि छोटे अधिकारी व कर्मचारियों को निलंबित करने की कार्रवाई तो लगातार चल रही है लेकिन बड़े अधिकारियों के विरूद्ध कोई ठोस कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है। आयुष्मान योजना में हुए भ्रष्टाचार का वीडियो पूरे प्रदेश में वायरल हो रहा है। रिश्वत लेने देने का ऑडियो भी वायरल हो रहा है लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस मामले में सिर्फ संचालक का तबादला कर दिया गया। जो अधिकारी भ्रष्ट लोगों के विरूद्ध कार्रवाई करना चाहते हैं या कुछ आगे बढ़ते हैं उनकी नाक में नकेल डाल दी जाती है और तबादला कर दिया जाता है। उन्होने सवाल किया कि क्या भ्रष्टाचार के विरूद्ध जीरो टॉलरेंस की घोषणा इसी तरह फलीभूत होगी। मुख्यमंत्री कहते हैं कि ‘भ्रष्टाचारियों को चिन्हित करें उन्हें नष्ट कर दूंगा, न खाऊंगा और न खाने दूंगा। आदिवासियों की जमीन दूसरे के नाम की तो मामा लटका देगा, नौकरी खा जायेगा। मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार को कोढ़ बता कर पूरी तरह समाप्त करने की बात करते है। डिंडोरी में मंच पर बुलाकर डी.एस.ओ. को निलंबित कर दिया और जनता से तालियां बजवा लीं। मुख्यमंत्री जी जिले में कलेक्टर एवं एस.पी. मुख्य रूप से जिम्मेदार होते है, उनके विरूद्ध कार्रवाई क्यों नहीं करते है?’
वहीं स्वेच्छानुदान को लेकर उन्होने कहा कि इससे इलाज कराने के लिये दस प्रतिशत कमीशन का समाचार पत्र में प्रकाशन हुआ है। आज हालात यह है कि मुख्यमंत्री सचिवालय से ही इलाज का पैसा दो-दो माह तक नहीं पहुंच रहा है। अधिकारी फाइलें दबाकर बैठे हुए हैं और कह देते है कि सीएम साहब के दस्तखत ही नहीं हो पा रहे हैं। लोग अस्पताल में मुख्यमंत्री सहायता कोष की तरफ देखते-देखते परेशान हैं एवं इलाज के अभाव में मृत्यु तक हो जाती है और यहां दस्तखत ही नहीं हो पा रहे है। क्या इसे भ्रष्टाचार माना जाये या शिष्टाचार ? यह कैसी लालफीताशाही है, जो मुख्यमंत्री जी को ही अंधेरे में रखे हुए है।