नारायण का दम, विन्ध्य से हम

सतना। आखिरकार मैहर के विधायक नारायण त्रिपाठी की विंध्य के प्रति संजीदगी सामने आ ही गई। कुछ लोग यह कह रहे थे कि नारायण विंध्य को लेकर गंभीर नहीं है कुछ लोग यह कह रहे थे कि उनका भाजपा से विरोध चल रहा है इसलिए वह विंध्य का राग अलाप रहे हैं लेकिन विंध्य बनाना उनकी मुख्य सूची में शामिल नहीं है। अगर नारायण त्रिपाठी के किरदार पर नजर डाली जाए तो एक बात बड़ी प्रमुखता से सामने आएगी कि नारायण संभावनाओं से परे हैं। नारायण के बारे में प्राय: यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि वे चाहे कुछ भी करे लेकिन अंतिम समय में भारतीय जनता पार्टी से माफी मांग कर चुनाव भाजपा से ही नहीं कुछ भी कह रहे थे उनकी कमलनाथ से अच्छी सेटिंग है उन्हे कांग्रेस से टिकट मिल ही जाएगा। कुछ लोग इस बात का विरोध करने लगे कि नहीं अजय सिंह राहुल के रहते नारायण त्रिपाठी को कांग्रेस से टिकट मिल ही नहीं सकता। कुछ लोग यह कहते हैं कि कमलनाथ के इशारे पर नारायण त्रिपाठी विंध्य का राग अलाप रहे हैं और अपने प्रत्याशी उतारकर भारतीय जनता पार्टी को कमजोर करेंगे और अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस को मजबूत कर देंगे। ये राजनीति है यहां जितने मुंह उतने तरीके की बातें आपको सुनने को मिल जाए क्योंकि राजनीति में हमेशा संभावनाओं का बाजार गर्म रहता है नारायण त्रिपाठी इकलौते ऐसे विधायक हैं जो हमेशा चर्चा में रहते हैं इस समय उनकी चर्चा विंध्य प्रीमियर लीग टूर्नामेंट के कारण भी है, इस समय उनकी चर्चा तुम हमें 30 सीट दे दो हम तुम्हें विंध्य बना कर देंगे इस घोषणा के कारण भी है। नारायण त्रिपाठी की चर्चा इसलिए भी है कि वे 2 मई से बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री जिनकी चर्चा इस समय पूरे विश्व में है उनकी कथा का आयोजन भी करा रहे हैं। नारायण त्रिपाठी को लेकर इस बात की भी चर्चा होती है कि वह रोज कपड़े बदल देते हैं उनके कपड़ों का स्टाइल भी कुछ अलग होता है। कुछ लोग तो यह कहते हैं कि कपड़ा बहुत अच्छा लगता है तो कुछ लोग यह भी कहते हैं कि कपड़ा बाजा वालों जैसा दिखता है। कुछ लोग कहते हैं कि नारायण त्रिपाठी के ऊपर कर्ज बहुत है तो कुछ लोग यह भी पूछते हैं कि नारायण त्रिपाठी इतना पैसा कहां से पाते हैं जिस हिसाब से उनकी लाइफस्टाइल है उसमें तो बहुत खर्च आता है जितने बड़े-बड़े आयोजन वह करते हैं उन सारी चीजों का पैसा कहां से लाते हैं। लेकिन इन सारी बातों से नारायण त्रिपाठी को कोई फर्क नहीं पड़ता। नारायण त्रिपाठी अपने आप में एक पहेली नहीं है नारायण त्रिपाठी अपने आप में एक कौतूहल भी हैं। लेकिन नारायण त्रिपाठी की इस घोषणा से उनकी पार्टी विंध्य पार्टी बन चुकी है हम पूरे विंध्य में 30 सीटों पर चुनाव लड़ आएंगे और यदि जनता ने 30 सीटें जिता कर देगी तो 2024 में विंध्य प्रदेश का निर्माण भी कर देंगे। विंध्य प्रदेश का निर्माण करना ना तो नारायण त्रिपाठी के हाथ में है और ना ही विंध्य प्रदेश की जनता के लेकिन इतना तो तय है यदि रीवा और शहडोल संभाग की जनता 30 सीट वाकई में विंध्य पार्टी को देने पाई तो केंद्र और राज्य की सत्ता के ऊपर एक बड़ा दबाव बन जाए और वैसे भी अगर रीवा और शहडोल की 30 सीटें अगर यहां के लोग जिता कर दे दे तो बिना नारायण त्रिपाठी के इशारे पर प्रदेश की सरकार भी नहीं बनेगी क्योंकि इस बार का चुनाव बड़ा कशमकश का चुनाव है। एक-एक सीट पर कड़ा मुकाबला है। 2018 के चुनाव में भी कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था चंद सीटों का फासला ही था कमोबेश 2023 के चुनाव में भी इस तरीके की स्थिति निर्मित होने की संभावना है हालांकि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जिस तरीके से बूथ मैनेजमेंट में जुटे हुए हैं उसे देखते हुए तो ऐसा लगता है कि किसी भी दल की स्पष्ट बहुमत की सरकार बन सकती है लेकिन ऐसे में नारायण त्रिपाठी की विंध्य पार्टी रीवा और शहडोल में अपनी सक्रियता यदि दिखाती है तो रीवा और शहडोल संभाग का समीकरण किसके पक्ष में जाएगा यह कहना अभी से जरा जल्दबाजी होगी लेकिन इतना तो तय है नारायण त्रिपाठी खेल दोनों दलों का बिगाड़ेंगे।




