अभय और नीलम फिर हुए भाजपाई

आज के दौर की राजनीति में मूल्य सिद्धांत चाल चरित्र चेहरे का कोई मतलब ही नहीं रह गया है अब सिर्फ राजनीति में यदि आपके पास पैसा है वही आपकी काबिलियत का असली मापदंड है। भारतीय जनता पार्टी में जिस स्तर का कद लालकृष्ण आडवाणी का था यदि उनके अलावा कोई दूसरा होता तो शायद अब तक दो-चार 10 बार दल बदल चुका होता लेकिन लालकृष्ण आडवाणी ने अपनी राजनीतिक उपेक्षा के बाद भी दल नहीं बदला यही होता है किसी व्यक्ति का चरित्र, सिद्धांत । पिछले विधानसभा चुनाव में अभय मिश्रा कांग्रेस ज्वाइन कर रीवा से राजेंद्र शुक्ल के विरुद्ध चुनाव लड़े । शायद इस बार उन्हें कांग्रेस से टिकट नहीं मिली तो उन्होंने तत्काल प्रभाव से भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली । भारतीय जनता पार्टी ने अभय मिश्रा को ज्वाइन भी कर लिया। अब आज की तारीख में ना ज्वाइन करने वाले का कोई चरित्र है ना ज्वाइन करने वालों का कोई चरित्र बचा । यदि कोई व्यक्ति 24 घंटे में दो बार नहाता है तो शायद 12 घंटे में एक बार अपनी अंडरवियर बदलता होगा लेकिन आज की राजनीति में लोग पार्टियां इस तरीके से बदल रहे हैं जिसे सुनकर भी लोगों को आश्चर्य हो रहा है कम से कम अंडरवियर बदलने के लिए 12 घंटे का इंतजार तो करना पड़ता है लेकिन राजनीति में लोग 12 घंटे का भी इंतजार नहीं करते और उसके पहले पार्टी बदल लेते हैं। अभय मिश्रा भारतीय जनता पार्टी से विधायक रह चुके हैं उनकी पत्नी नीलम मिश्रा भी भाजपा से ही विधायक रह चुकी है अभय मिश्रा जिला पंचायत के अध्यक्ष भी रह चुके हैं पिछली बार कांग्रेस से चुनाव लड़े थे इस बार बहुत संभव है कि उन्हें पार्टी फिर से सिमरिया से टिकट दे सकती है। बीते 5 वर्षों में पार्टी सिमरिया में एक ऐसा कार्यकर्ता तैयार नहीं कर पाई जिसे टिकट दिया जा सके अब आज की तारीख में चुनाव लड़ने वाले चेहरे का भी अकाल है इसीलिए भारतीय जनता पार्टी ने अभय मिश्रा को भाजपा ज्वाइन करा के चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है ऐसा भी संभव है क्योंकि सिमरिया के विधायक के पी त्रिपाठी ने एक सरकारी अधिकारी के साथ मारपीट करवा दी थी जिसके चलते बहुत संभव है कि भारतीय जनता पार्टी उनका टिकट काट दे ऐसे में अभय मिश्रा नीलम मिश्रा को पार्टी टिकट दे सकती है। हालांकि इस पूरे मामले में भी कुछ संशय है क्योंकि यदि राजेंद्र शुक्ल की चली तो अभय मिश्रा को टिकट मिलना मुश्किल होगा लेकिन इस बार भारतीय जनता पार्टी को भी एक-एक सीट की पड़ी है ऐसे में यदि सिमरिया में कोई मजबूत दावेदार नहीं मिला तो अभय मिश्रा या नीलम मिश्रा को भारतीय जनता पार्टी टिकट दे सकती है ।




