कलेक्टर को भी चार साल की सजा

सतना। देश जबसे आजाद हुआ है तब से इस देश के अंदर कलेक्टर अपने आप को एक अलग प्रकार का ही प्राणी मानते हैं देश के अंदर अधिकांश कलेक्टर यह मानकर चलते हैं कि वह देश दुनिया से अलग है वह एक विशिष्ट किस्म के प्राणी है। उनके पास अधिकारों का अथाह सागर है वह कुछ भी कर सकते हैं उनके ऊपर कोई अंकुश नहीं लग सकता तमाम सरकारों की सर परस्ती में देश के अंदर कई कलेक्टर बड़े से बड़ा भ्रष्टाचार करके साफ बच निकलते हैं लेकिन मध्य प्रदेश के अंदर एक ऐसा मामला आया है जिसमें कोर्ट ने कलेक्टर को 4 साल की सजा सुनाई है । यदि देश के अंदर इस तरीके की पहल होती रहे और इस देश के अंदर इस तरीके के फैसले आते रहे तो कलेक्टर भी अपने आप को इसी दुनिया का प्राणी समझने में देर नहीं करेंगे । झाबुआ में पदस्थ रहे पूर्व कलेक्टर जगदीश शर्मा एवं जिला पंचायत अधिकारी सहित सात अधिकारियों को 4 साल की सजा
गिरफ्तार कर पुलिस ने भेजा जेल!
मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में कलेक्टर रहे जगदीश शर्मा आईएएस एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जगमोहन धुर्वे सहित कुल 7 लोगों को न्यायालय ने 4-4 साल जेल की सजा सुनाई है। कुल 9 लोगों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल किया था।
झाबुआ मनरेगा प्रिंटिंग घोटाला
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में जिला पंचायत में मनरेगा अंतर्गत समग्र स्वच्छता अभियान के प्रचार पोस्टर, रजिस्टर आदि सामग्री की छपाई की गई थी। यह कार्य शासकीय मुद्रणालय के बजाय निजी मुद्रणालय से 33.54 लाख 616 रुपए में मेसर्स राहुल प्रिंटर्स भोपाल से कराया गया। प्रिंटिंग प्रेस के मालिक का नाम मुकेश शर्मा बताया गया।जबकि शासकीय मुद्रणालय में यह काम 5,83,891 रुपए में हो जाता। ऐसे में शासन को 27,70, 725 रुपए का नुकसान पहुंचा। मामले में हुई शिकायत और विशेष न्यायालय में दायर किए गए परिवाद के बाद जांच के लिए प्रकरण विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त इंदौर को भेजा गया था। जांच में पुष्टि होने पर लोकायुक्त पुलिस ने झाबुआ के तत्कालीन कलेक्टर जगदीश शर्मा, तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ जगमोहन सिंह धुर्वे, मनरेगा (तकनीकी) के परियोजना अधिकारी एन.एस.तंवर, स्वच्छता मिशन के जिला समन्वयक अमित दुबे, लेखाधिकारी सदाशिव डावर आशीष कदम, शासकीय मुद्रणालय भोपाल के उप नियंत्रक देवदत्त एके खंडूरी और मेसर्स राहुल प्रिंटर्स भोपाल के मालिक मुकेश शर्मा को आरोपी बनाया। इनके विरुद्ध भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13 (1) डी, 13 (2) आईपीसी की धारा 420, 120 बी के तहत केस दर्ज किया था।




