श्रीनिवास की प्रतिमा को लेकर भाजपा कांग्रेस आमने-सामने

व्हाइट टाइगर के नाम से मशहूर श्रीनिवास तिवारी की मूर्ति स्थापना को लेकर मामला फुल पकड़ता जा रहा है कांग्रेस के लोग श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा saf चौराहे में ही लगाने के लिए कटिबद्ध हैं तो वही जिला प्रशासन इस बात का प्रयास कर रहा है प्रतिमा एस ए एफ चौराहे पर स्थापित न हो । कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा इस पूरे मामले में आरोप लगाते हुए अप्रत्यक्ष रूप से उपमुख्यमंत्री का हाथ बताते हैं तो वही रीवा शहर के महापौर अजय मिश्रा उर्फ बाबा मीडिया से बात करते हुए यह कहते हैं की प्रतिमा तो एसएएफ चौराहे में ही स्थापितहोगी यदि सरकार ने अड़ंगा लगाया तो 17 सितंबर को श्रीनिवास तिवारी की जयंती पर जो लाखों जनता एकत्रित होगी वह निर्धारित करेगी प्रतिमा कहां लगनी चाहिए लिए आइए सुनते हैं रीवा के महापौर अजय मिश्रा बाबा मीडिया से क्या कह रहे हैं….
वहीं श्रीनिवास की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा मीडिया से बात करते हुए कहते हैं कि श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापित करने के विरोध में हम लोग नहीं है लेकिन सरकार जहां जगह दे वहां स्थापित कर ले । इसके अलावा जनार्दन मिश्रा ने इस सवाल का भी जवाब दिया कि दादा ना होy दाऊ आय । इस सवाल के जवाब में जनार्दन मिश्रा ने कहा कि जब श्रीमान तिवारी के सामने लोग ऐसा बोलते थे तो वह खुश होते थे आज भी वह जहां होंगे यह बात सुनकर खुश होते होंगे। आई सुनते हैं जनार्दन मिश्रा का बयान
कांग्रेस श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा की स्थापना को लेकर बहुत हद तक इमोशनल कार्ड खेल रही है इसमें कोई दो मत नहीं है कि रीवा की अधिकांश जनता भले ही कुछ लोग श्रीनिवास तिवारी के वैचारिक विरोधी हो सकते हैं लेकिन कहीं ना कहीं श्रीनिवास तिवारी की कार्यप्रणाली से रीवा के अधिकांश लोग इत्तेफाक रखते हैं। रीवा के अधिकांश लोग चाहते हैं जो दलगत भावना से ऊपर उठकर सोचते हैं उनका सूचना यही है की श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा की स्थापना होनी चाहिए लेकिन जो कट्टर भाजपाई है उनके दिल दिमाग में कहीं ना कहींउन दिनों की याद उन दिनों की कसक उठती होगी जिन दिनों में श्रीनिवास तिवारी लगातार दो बार विधानसभा अध्यक्ष रहे और अपनी कार्यप्रणाली से कहीं न कहीं उन भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्रभावित किया होगा जो दादा की कार्यप्रणाली का विरोध करते थे आंदोलन करते थे प्रदर्शन करते थे आज भारतीय जनता पार्टी की सरकार है तो लोगों को यह जरूर लगता होगा कि कहीं ना कहीं श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा न स्थापित हो । लेकिन इस पूरे विवाद का अंतिम परिणाम तो यह होगा कि श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापित हो अब कहां होगी कैसे होगी यह विशाल खबर को नहीं मालूम लेकिन जनता का दबाव भी अपने आप में कोई दबाव होता है और बहुत संभव है कि 17 सितंबर को जनता का इतना बड़ा दबाव पैदा हो जाए कि शासन प्रशासन को दबाव में स्वीकार करना पड़े कि श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा जहां कांग्रेस को लोग चाहते हैं वहीं स्थापित हो जाए यदि ऐसा नहीं भी हुआ तो कहीं ना कहीं श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा को स्थापित करने की शासन प्रशासन जगह देगा। यदि शासन पूरी तरह से यह तय कर चुका होगा कि श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापित ही नहीं होने दी जाएगी ऐसी स्थिति में कानून व्यवस्था का भी मामला बन सकता है श्रीनिवास तिवारी के समर्थक आक्रामक भी हो सकते हैं। फिलहाल पहले से कोई कयास लगाना या संभावना व्यक्त करना जल्दबाजी होगी लेकिन इतना तो कहा जा सकता है ki श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापित होगी । हालांकि इस बात के संकेत रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा ने भी दे ही दिए है । वे कहते हैं की प्रतिमा स्थापित करने का हम विरोध नहीं करते लेकिन सरकार जहां जगहदे वहां स्थापित करे




