कौन बो रहा है कमलनाथ के रास्ते में कांटा
यदि कांग्रेस बहुमत में आती है तो कमलनाथ ही मुख्यमंत्री बनेंगे अब इस बात का विरोध व्यापक पैमाने पर शुरू हो गया है। पहले इस बात का विरोध पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने किया उसके बाद प्रतिपक्ष के नेता रहे अजय सिंह राहुल ने भी यह कह कर सबको चौका दिया कि कांग्रेस में चुनाव के पहले मुख्यमंत्री घोषित करने की परंपरा नहीं रही है चुनाव के बाद ही विधायक दल का नेता चुना जाता है जहां तक रही मेरी बात तुम मैं भविष्य में विधायक बनना चाहता हूं मुख्यमंत्री बनने की बात मैं नहीं कह सकता। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेश के हाईकमान ने कमलनाथ को विधायक दल का नेता चुन लिया था जिसके चलते कमलनाथ ऐसा मानकर चल रहे हैं यदि कांग्रेस बहुमत में आई तो मुख्यमंत्री वही रहेंगे लेकिन यह कांग्रेश है यहां गुटबाजी चरम पर है कमलनाथ के रास्ते में पर्दे के पीछे से कांटे कौन बो रहा है स्पष्ट तौर पर तो कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन राजनैतिक विश्लेषकों का यह मानना है कि इस पूरी पटकथा के पीछे कहीं न कहीं दिग्विजय सिंह का दिमाग जरूर दिखाई देता है । दिग्विजय सिंह का प्रभाव पूरे प्रदेश के अंदर है क्योंकि वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे हैं इसके अलावा उन्होंने मध्य प्रदेश के अंदर 10 वर्षों तक बतौर मुख्यमंत्री राज किया है ऐसे में अगर जमीनी पकड़ की बात कहें तो निश्चित तौर पर कमलनाथ से कहीं ज्यादा जमीनी पकड़ दिग्विजय सिंह की है यदि कांग्रेश बहुमत में आई तो प्रदेश का मुख्यमंत्री वही बनेगा जिसे दिग्विजय सिंह चाहेंगे पिछली बार कमलनाथ मुख्यमंत्री इसलिए बन गए थे क्योंकि ज्योतिरादित्य सिंधिया मुख्यमंत्री के दावेदार थे इस लिहाज से दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य को किनारे लगाने के लिए कमलनाथ का साथ दिया था लेकिन इस बार कमलनाथ के मुकाबले ज्योतिरादित्य सिंधिया नहीं है। ऐसे में दिग्विजय सिंह की चाल कहीं ना कहीं कमलनाथ के लिए घातक हो सकती है कमलनाथ अकेले दम पर प्रदेश के अंदर सरकार बनाने की हैसियत नहीं है इसलिए कहीं न कहीं दिग्विजय सिंह के समर्थकों का सहारा लेना पड़ेगा और यदि चुनाव जीतकर दिग्विजय सिंह के समर्थक अधिक संख्या में आ गए तो कमलनाथ के लिए मुख्यमंत्री बनना आसान नहीं होगा। इसके अलावा कमलनाथ के मुख्यमंत्री पद को लेकर मध्य प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी तंज कसा उन्होंने कहा कि कांग्रेस हाथ से हाथ जोड़ो अभियान चला रही थी जबकि अब अभियान कम एजेंडा बदल गया है अब लोग कमलनाथ से पिंड छुड़ाने का अभियान चलाने लगे है।




