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सर्किट हाउस में अवैध पार्किंग

सतना। सतना शहर में बड़ी-बड़ी इमारतें एवं बड़े-बड़े व्यावसायिक भवन तो बना दिए गए लेकिन उन भवनों में पार्किंग की व्यवस्था नहीं है जिसके चलते आज की तारीख में सतना शहर का सर्किट हाउस अवैध पार्किंग का अड्डा बना हुआ है और किसी की गाड़ी खड़ी हो या ना खड़ी हो लेकिन वीर जी रेस्टोरेंट की गाड़ी वहां नियमित रूप से खड़ी रहती है नेताओं ने तो सर्किट हाउस को अपनी बपौती ही समझ रखी है। सर्किट हाउस में ज्यादातर गाडिय़ां आर एस टावर में जाने वाले लोगों की होती है इसके अलावा सर्किट हाउस चौराहे में यदि किसी का कोई काम है तो गाड़ी पार्किंग सर्किट हाउस में ही होगी सर्किट हाउस के अधिकांश कर्मचारी एक राजश्री की पुडिय़ा में किसी भी व्यक्ति के सामने इस तरीके से बिक जाते हैं जैसे कालीन। सर्किट हाउस में कोई भी व्यक्ति कभी भी वहां खड़ा करके चला जाए सर्किट हाउस के कर्मचारी किसी भी व्यक्ति को रोकते टोकते नहीं। यह स्थिति तो बाहर की है लेकिन सर्किट हाउस के कमरों की भी स्थिति कुछ कमजोर नहीं है यदि किसी व्यक्ति का सर्किट हाउस के कर्मचारियों से व्यवहार है तो दो-चार घटे तो वह आराम से सर्किट हाउस में गुजार ही सकता है बशर्ते यह सुविधा लेने के लिए सर्किट हाउस के कर्मचारियों को एक क्वार्टर शराब उपलब्ध करा दीजिए इस तरीके की सुविधा सर्किट हाउस में आसानी से मिल जाएंगे घंटे आधा घंटे गुजारने वालों की संख्या वहां पर सैकड़ो से ऊपर है सर्किट हाउस में कुछ कर्मचारी के रहने के लिए निवास भी हैं उन निवास में भी नियमित रूप से शराब का सेवन करते हैं। कहने के लिए तो यह राजकीय अतिथि निवास है लेकिन इस अतिथि निवास में ज्यादातर अतिथि तो नहीं होते फोकटहों की लाइन लगी रहती है। अगर देखा जाए तो यह अपने आप में बहुत बड़ी समस्या है सर्किट हाउस के प्रभारी हो सकता है इस समस्या से अनजान हूं लेकिन यदि सर्किट हाउस के प्रभारी अचानक से सर्किट हाउस का निरीक्षण कर ले तो उन्हें काफी कुछ ऐसी भी विसंगतिया मिल जाएंगी जिसे देखकर वह आश्चर्यचकित हो जाएंगे जब सतना जिले के कलेक्टर केके खरे थे तो एक बार मीडिया की शिकायत पर कलेक्टर केके खरे ने सर्किट हाउस का औचक निरीक्षण कराया था जिसमें कई लोग शराब पीते मिले कुछ लोग तो आपत्तिजनक स्थिति में भी मिले थे। उसके बाद सर्किट हाउस से राजेंद्र सिंह को हटा दिया गया था कमोवेश सर्किट हाउस का नजारा आज भी कुछ परिवर्तित नहीं हुआ है। कुछ लोग तो यहां आकर दिन में ही शराब पीना शुरू कर देते हैं लेकिन आश्चर्यजनक विषय यह है की तिल को ताड़ बनाने वाला सतना का मीडिया सर्किट हाउस की विसंगतियों पर नजर क्यों नहीं डालता इसके पीछे की भी एक प्रमुख वजह है क्योंकि अधिकांश मीडिया के लोग सर्किट हाउस को अपना अघोषित ऑफिस बना कर रखा है। अगर बिना किराए की किसी को ऑफिस मिल जाए तो इससे अच्छी बात क्या होगी।

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